आज आपको बता देता हूँ कि मैं क्यों वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति के खिलाफ हूँ क्योंकि यह विदेशी शिक्षा है
और इस शिक्षा का भारत में कोई उपयोग नहीं होता , यहां तक ठीक हैं पर हमें इन किताबों से पूरा ज्ञान भी नहीं मिलता (कक्षा 6 से 12 तक मैंने एक ही थ्योरी को अलग ढंग से समझने वाली थ्योरी पढ़ी हैं for example -Newton की गुर्त्वाकर्षण Theory! क्या एक बार में सारी थ्योरी Complete नहीं होती ) अगर आपको अभी भी लगता है कि ऐसा नहीं हैं और हमारी शिक्षा पध्धति बदल चुकी है तो यह असलियत ध्यान से पढ़ लेना (यह बिलकुल सच है , जो वैज्ञानिक के क्षेत्र में जाना चाहतें हैं उनके लिए जरूरी है )-
और इस शिक्षा का भारत में कोई उपयोग नहीं होता , यहां तक ठीक हैं पर हमें इन किताबों से पूरा ज्ञान भी नहीं मिलता (कक्षा 6 से 12 तक मैंने एक ही थ्योरी को अलग ढंग से समझने वाली थ्योरी पढ़ी हैं for example -Newton की गुर्त्वाकर्षण Theory! क्या एक बार में सारी थ्योरी Complete नहीं होती ) अगर आपको अभी भी लगता है कि ऐसा नहीं हैं और हमारी शिक्षा पध्धति बदल चुकी है तो यह असलियत ध्यान से पढ़ लेना (यह बिलकुल सच है , जो वैज्ञानिक के क्षेत्र में जाना चाहतें हैं उनके लिए जरूरी है )-
एक बार मेरे लिए अजीब सवाल का एक बोझ सा था , सवाल यह था की कंप्यूटर बिनुअरी नंबर्स ( 0 और 1 ) पर ही क्यों काम करते हैं अगर इनकी सख्यां बढ़ा दी जाए तो शायद कंप्यूटर की स्पीड ज्यादा हो जानी चाहिए , पर यह दो नंबर ही क्यों ??
तब मेरे पास कोई न ही कोई मोबाइल था न इंटरनेट था मैंने इस सवाल का उतर जानने के लिए कंप्यूटर की सभी किताबों का एक - एक पन्ना देखा पर यह उत्तर नहीं मिला, मैंने कक्षा 9 से 12 तक की किताबें भी देखीं पर फिर भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला , तब मुझे ऐसा लगता था की अगर यह सवाल मिल जाये तो मैं एक ऐसा कंप्यूटर भी बना सकता हूँ जिसकी स्पीड बहुत ही ज्यादा हो , पर ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ क्यों की जो पढ़ाई मुझे करनी चाहिए थी वह नहीं करने दी गयी और मैं यह सचाई किसी को बताना भी नहीं चाहता था क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो भी मुझे बुरा लगता , फिर एक दिन मैंने एक 12th साइंस की बुक में मुझे यह सवाल मिल ही गया , {यहां मैं आपको थ्योरी नहीं बताऊंगा क्योंकि आपके पास इंटरनेट की सुविधा है}
जो knowledge कंप्यूटर की किताबों में मिलना चाहिए या होना चाहिए वह साइंस की किताबों में मिला अब क्या आपको लगता है की मेरे साथ क्या हुआ होगा। ... तो जानो। ..
पर तब तक देर हो चुकी थी और मैं कुछ कर भी नहीं सकता था।
साथ ही मुझे अर्धचालकों को बनाना भी नहीं आता था और न ही कोई ऐसा तरीका था की बिना टाइम गवाए मैं इनके बारे सारी जानकारी ले सकूं। बस अब खुद की कंप्यूटर कंपनी की जगहं मैं किसी के अंडर में काम करता हूँ।लेकिन अभी भी मैंने हार नहीं मानी है।
अगर आपको अब भी विश्वास नहीं होता की भारतीय शिक्षा पद्धति घटिया है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि भारतीय Newspaper " भास्कर" ने लिखा था की इंडिया घटिया शिक्षा में दूसरे नंबर पर है।
सचाई तो यह है की इस शिक्षा पद्धति का हमारे भारत में कोई उपयोग नहीं क्योंकि यह मेकोले की अंग्रेजी टीम द्वारा बनाई गयी है और आज तक हमने इसमें कोई बदलाव नहीं किये।
क्योंकि भारत में होने वाली परीक्षाएं नॉलेज को नहीं यादास्त को परखती है, अगर आपको लगता है की यह जरूरी है तो आपको बता दूँ की अगर अल्बर्ट आइंस्टीन को कुछ भी याद नहीं रहता था ,फिर भी वह महान वैज्ञानिक वैज्ञानिक हैं ,जिनका नाम भी अमर है।
यह वीडियो देखने के बाद आपको पूरा विश्वास हो जायेगा कि भारतीय शिक्षा पद्धति बिगड़ चुकी है -
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